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हम खुश कैसे रहें

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यक़ीनन प्रकृति ने हमें दुनिया में खुश रहने के लिए ही भेजा है, लेकिन हम खुश कैसे रहें, यह एक बड़ा सवाल बन गया है । चूँकि हम बेकार की चिंताओं से घिरे रहते हैं, इसलिए हम दुखी रहते हैं । दुनिया को हमारे ज्ञान से अधिक हमारे हँसमुख स्वभाव की जरुरत है । हम दूसरों को ज्ञान तो बहुत देते हैं, पर उन्हें खुश करने की कोशिश नहीं करते । जितना खुश करते हैं, वे हमारे उतना करीब हो जाते हैं तथा उतने ही चाव से वे हमें सुनते हैं । वास्तव में हँसमुख व्यक्ति वह फुहार है, जिसके छीटें दुखी मन को राहत देते हैं । लेकिन जब हम फालतू तनाव लेने लगते हैं तो अवसाद और नकारात्मक ऊर्जा हमें घेर लेती है । जीने का यह तरीका पूरी तरह अप्राकृतिक हो जाता है ।

हम उच्चरक्तचाप, ख़राब पाचन-तंत्र, असहजता, अनिद्रा, बात-बात पर गुस्सा आना और चिढ़चिढ़ापन जैसी समस्याओं से परेशान रहने लगे हैं । शरीर और मस्तिष्क को ठीक रखने के लिए दवाइयों की जरुरत पड़ने लग जाती है । ऐसी स्थिति में बचने के लिए हमें खुश रहने के मंत्रों को मुठ्ठियों में लेना होगा । हमें खुश रहने के लिए सबसे पहले सभी धर्मों में कहे गए इस संदेश को ध्यान में रखना होगा कि हमारा जन्म प्रेम से रहने, खुश रहने और आनंद की अनुभूति के लिए हुआ है । इसलिए खुद को हमेशा याद दिलाएं कि हम अपने खुश रहने के सपनों को पूरा करने में सक्षम हैं । हमेशा मन को इस विश्वास से भरते रहें कि हम द्वेष के ऊपर प्रेम, अवसद के ऊपर शांति और दुख के ऊपर हर्ष का चुनाव करते हैं और हमेशा करते रहेंगे । हम सोचते है कि हमारे आसपास की दुनिया हमारे व्यवहार और मूड को प्रभावित करती है, जबकि सच तो यह है कि दुनिया तो हमेशा से ऐसी ही है । बस उसे देखने का नजरिया हर इंसान का अलग होता है । नकारात्मक विचार हमें आगे बढ़ने से रोकते हैं, खुशियों में बाधा डालते हैं ।

वस्तुतः हमारी सोच, हमारी ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है, क्योंकि जब हम किसी काम को करने की ठान लेते हैं तो कोई बाधा बड़ी नहीं लगाती । यह बल हमें अपनी सोच से मिलता है । लेकिन जब कभी हमें यह लगता है कि जीवन में कुछ अच्छा नहीं है या मैं अपनी स्थति को नहीं बदल सकता, तो आगे बढ़ने की सारी संभावनाओं को हम खुद ही ख़त्म कर रहे होते हैं । ऐसे में हमारी सोच का दायरा बहुत सीमित हो जाता है । हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि खुश रहना हमारा हक है, जिसे हर कीमत पर हम पाकर रहेंगे । जब हम सिर्फ उन विचारों पर ध्यान केंद्रीत करते हैं, जो आपको ख़ुशी देते हैं तो जिंदगी खूबसूरत लगने लगती है । इस पर ध्यान देने के बजाय कि दुनिया क्या कर रही है या क्या कहेगी, इस बात पर ध्यान दें कि हमें किस चीज से खुशी मिलती है । हमारा चुनाव भीड़ से अलग हो सकता है । हमारी खुशी का जरिया एक आलीशान गाड़ी के बजाय अपने किसी प्रियजन एक साथ समय अच्छा बिताना हो सकता है । हम किसी के दबाव में आकर कोई फैसला न लें । अगर अपने किसी कार्य से हमें खुशी मिलती है और किसी दूसरे का अहित नहीं हो रहा है, तो उसे जरूर चुनें।

हमेशा आप अपने आप से एक सवाल पूछिये कि क्या इस वक्त मैं खुश हूँ? यदि जवाब ना में मिले तो अपने मन में इन सूत्रों को दोहराएँ । अगर मुझे प्रसन्न रहना है, खुशियाँ हासिल करनी हैं और जीवन को खूबसूरती से जीना है तो मुझे अपनी नकारात्मक भावनाओं पर काबू रखना होगा । आपको हमेशा यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि छोटी-छोटी बातों पर तनाव लेना छोड़ दें । जीवन में जो अनुभव हुए, आपकी वर्तमान की यह प्रवृति उन अनुभवों के निष्कर्षों के तौर पर बनी हो सकती है । हो सकता है कि आपको बड़ी जिम्मेदारियों को संभालने का हवाला देते हुए आगे बढ़ाया गया हो, लेकिन हो सकता है आप इन जिम्मेदारियों को पूरा करने में कम सफल हुए हों । इसके लिए जीवन की कई ऐसी स्थितियाँ आपके नियंत्रण से बाहर की होगी उनके प्रति भी आप खुद को जिम्मेदार मानने लगते हैं और आगे चलकर आप यह भी मानने लगते है की लोग आपको आपकी उपलब्धियों से ही स्वीकारेंगे । इतना ही नहीं जहाँ कहीं जो कुछ गलत होने लगे, आप उसे खुद से जोड़ने लगते हैं । वास्तव में ऐसी स्थिति से बचना चाहिए । हर काम सही या आपके मुताबिक नहीं हो सकता । इसलिए अगर कभी त्रुटिवश आप कोई गलती कर दें या परिस्थितिजन्य कोई गलती कर दें तो आत्मग्लानि में डूबने के बजाय खुद को माफ करना सीखें । ऐसा करेंगे, तभी आप खुश रह सकेगें और आगे बढ़ सकेगें। यदि आप खुश रहने के इन मंत्रों को हमेशा मुठ्ठियों में रखेंगे तो आप हमेशा खुश रहेंगे अरु सभी को भी खुश रख सकेंगे । आप हमेशा यह भी ध्यान रखें कि खुश रहने से सफलता की डगर पर आप तेजी से आगे बढ़ेंगे और सफलता की ऊँचाइयाँ आपका स्वागत करने के लिए तैयार खड़ी रहेंगी ।


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